सरल गीता सार
The Essence of Geeta Made Easy
पदन्यास
देव रामानन्द
मूल नाम- देवी लाल शर्मा "देव".
निवासी - चौकड़ी, तहसील - कपासन, जिला - चितौड़गढ़ (राज.)
हाल -निर्मल निकेतन, 18, न्यू टैगोर नगर, हिरण मगरी- सेक्टर 4, उदयपुर, (राज.)
समर्पण
करूँ
समर्पित कृष्ण को, यह उन्ही की   वाणी
लिया 'देव' है चरण में, प्रणाम जोड़ कर पाणी
सरल सार लिख धन्य हुआ, भाव भाव भरे भगवान
स्वयं समर्पित आपके, दिया चरण में स्थान
" देव ''
                                                      दो शब्द 
श्री मद्भागवत गीता के श्लोको का सरल पद्दानुवाद  करने का संक्षेप में कहें तो सरल गीता का मन बना
। इसमें वत्स रमेश मेनारिया का भी पद्द लिखने में सहयोग रहा है, उन्हें धन्यवाद । 
 दिनांक 26 -11 - 2001
ई. 
                                                                    देवी लाल शर्मा 'देव'.
निर्मल निकेतन , उदयपुर । 
 
प्राक्कथन
मैं, हाल ही में, गर्मियों की छुटियों में उदयपुर गया था । अलमारी साफ करते समय उसमे रखी अटेचियों को भी व्यवस्थित किया । श्री देव रामानंद के देहावसान के बाद उनकी सारी पांडुलिपिया मेने अटेची में रख दी थी। ऐसा विचार रहा की "शाश्वत गति यन्त्र" के निर्माण से कभी समय निकाल कर, मैं पांडुलिपियों को टाइप कर, उन्हें प्रकाशित करूँगा। श्री देव रामानंद जीवन भर भजन भाव में रह कर अध्यात्म विषय पर कुछ न कुछ लिखते रहे । मै "सरल गीता सार" की पाण्डुलिपि अपने साथ बांसवाड़ा ले आया, इसे पुनः पढ़ आनंद विभोर हुआ । बस दो ही दिन में, मेने पाण्डुलिपि की टाइप समाप्त कर, "सरल गीता सार" को "त्रिपाद" पर नई वेबसाइट deva-bhajan.tripod.com बना कर, इंटरनेट पर प्रकाशित कर दिया । हिंदी टाइप मुझे नहीं आती, अतः गूगल हिंदी इनपुट उपकरण पर टाइप करने के उपरांत, हिंदी की छोटी बड़ी मात्रा की कुछ अशुद्धियाँ रह गई हो सकती है, जिसके लिए विद्धानजनों का क्षमाप्रार्थी हूँ आशा करता हूँ की "सरल गीता सार" छात्रों को छोटी उम्र में ही गीता सन्देश का सम्पूर्ण मर्म समझाने में बहुत मदद करेगी । इतनी सरल भाषा में गीता का पद्द रूपांतरण अपने आप में एक उपलब्धि है, जिसके लिए श्री देव रामानंद को कोटि कोटि प्रणाम ।
दिनांक : 25 जून, 2014
डा. रमेश मेनारिया,
विभागाध्यक्ष, रसायन विभाग,
श्री गोविन्द गुरु राजकीय महाविद्दालय,
बाँसवाड़ा (राज.)